जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला – एक आत्ममंथन
🕉️
राम राम प्रिय श्रोताओं।"आतंक नहीं, अध्यात्म चाहिए" – हम समाज की घटनाओं पर आत्मिक दृष्टिकोण से विचार करते हैं।
आज का विषय है – 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए हमले पर हमारी आत्मचिंतनात्मक चर्चा। एक ऐसा दिन जो मानवता पर एक काला धब्बा बन गया।
📍 घटना का विवरण: 22 अप्रैल की सुबह, जब पहलगाम की वादियाँ पर्यटकों से गुलज़ार थीं, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ें गूंज उठीं। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने निर्दोष यात्रियों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में 26 मासूम लोग मारे गए, जिनमें महिलाएँ, बच्चे, और बुजुर्ग भी शामिल थे।
❓ प्रश्न जो उठता है – कौन सा धर्म सिखाता है मासूमों की हत्या करना? क्या इस्लाम, हिंदू धर्म, सिख धर्म, ईसाई धर्म या कोई भी आध्यात्मिक पंथ, किसी को निर्दोषों की हत्या का आदेश देता है?
उत्तर स्पष्ट है – नहीं।
📖 सभी धर्मों का मूल संदेश क्या है?
-
इस्लाम कहता है – "एक निर्दोष की हत्या, संपूर्ण मानवता की हत्या के समान है।"
-
हिंदू धर्म कहता है – "अहिंसा परम धर्म।"
-
सिख धर्म कहता है – "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय।"
-
ईसाई धर्म कहता है – "अपने शत्रु से प्रेम करो।"
🎧 हमारे मन में एक प्रश्न गूंजता है: क्या ये आतंकवादी वाकई किसी धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं, या फिर वे धर्म की आड़ में केवल हिंसा फैलाते हैं?
नरेटर: दोस्तों, धर्म अगर रक्तपात सिखाए, तो वो धर्म नहीं – अधर्म है। और अधर्म की राह पर चलने वाले केवल विनाश का कारण बनते हैं।
📿 अध्यात्म क्या सिखाता है?
-
आत्मा के स्वरूप को जानो।
-
सभी प्राणियों में ईश्वर को देखो।
-
करुणा, प्रेम और क्षमा का अभ्यास करो।
🕯️ पीड़ितों को श्रद्धांजलि: आइए आज हम उन 26 मासूमों को मौन श्रद्धांजलि दें। एक गहरी साँस लें और प्रार्थना करें – कि उनके आत्मा को शांति मिले, और हम सब मिलकर ऐसा भारत बनाएं जहाँ फिर कोई माँ अपने बच्चे को खोने का दुःख न सहे।
🙏 अंतिम संदेश: आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन हर धर्म में इतनी शक्ति होती है कि वो आतंक को हराए – प्रेम, सेवा और करुणा के रास्ते से।
अगर हम सच्चे धार्मिक हैं, तो हमारा फर्ज़ है कि हम आवाज़ उठाएं – आतंक के खिलाफ़, और एकजुट होकर शांति की राह चुनें।
आप सुन रहे थे – 'आतंक नहीं, अध्यात्म चाहिए'
फिर मिलेंगे एक नए Post में – तब तक ध्यान रखें, केवल शरीर नहीं, आत्मा का पोषण भी ज़रूरी है।
