राम राम प्रिय श्रोताओं,
आज हम बात करेंगे – “आत्मसंयम योग”, जिसे हम ध्यान योग भी कहते हैं। यह वह मार्ग है, जो हमें बाहरी दुनिया से हटाकर, अपने भीतर की ओर ले जाता है… हमारी आत्मा की आवाज़ सुनने की ओर।
आत्मसंयम योग यानी Self-Discipline through Meditation।
यह केवल आँखें बंद कर बैठ जाना नहीं है, यह एक गहरी साधना है।
यह वह प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने इंद्रियों, मन और विचारों पर नियंत्रण प्राप्त करते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है –
"योगस्थः कुरु कर्माणि", अर्थात योग में स्थित होकर कर्म करो।
ध्यान योग वही अवस्था है – जहाँ मन स्थिर हो जाता है, विचार शून्य हो जाते हैं… और आत्मा बोलती है।
चलिए अब आपको एक कहानी सुनाता हूँ – “भीतर का दीपक”।
यह कहानी है वेदांत नाम के एक युवक की, जो बाहर की दुनिया में सफलता की तलाश में खो गया था।
वेदांत एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था। लाखों की सैलरी, गाड़ी, बंगला – सब कुछ था।
लेकिन हर रात जब वह अपने आलीशान बेडरूम में लेटता, तो उसका मन पूछता –
“क्या यही जीवन है? क्या मैं सच में खुश हूँ?”
एक दिन ऑफिस जाते वक्त उसकी कार एक छोटे आश्रम के सामने रुक गई। अंदर से शांति की ध्वनि आ रही थी –
"ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः..."
न जाने क्यों, वेदांत भीतर चला गया। वहाँ बैठे एक साधु ने मुस्कुरा कर कहा –
“तू जो खोज रहा है, वह तेरे भीतर है। बाहर नहीं।”
वेदांत ने साधु से पूछा – “कैसे?”
साधु बोले – “ध्यान कर, अपने विचारों को शांत कर, भीतर उतर – वहाँ तुझे तेरा सच्चा स्वरूप मिलेगा।”
और उसी दिन से वेदांत ने हर दिन 10 मिनट का ध्यान शुरू किया।
हफ्तों में वह जान गया –
कि सच्चा सुख प्रमोशन या पैसों में नहीं, भीतर की शांति में है।
अब वह हर दिन काम करता है, लेकिन भीतर से शांत, संतुलित और प्रसन्न रहता है।
वह कहता है –
“मैंने बाहर की दुनिया जीतने से पहले, अपने मन को जीत लिया।”
आत्म-साक्षात्कार यानी “मैं कौन हूँ?” का उत्तर पाना।
और यह तभी संभव है जब –
• हम रोजाना ध्यान करें
• मन को इंद्रियों की गुलामी से मुक्त करें
• विचारों को देखें, पर उनसे चिपकें नहीं
• भीतर की आवाज़ को सुनना सीखें
जब मन शांत होता है, तब आत्मा प्रकट होती है।
आज का पॉडकास्ट खत्म करने से पहले मैं आपको एक आसान ध्यान अभ्यास देता हूँ।
1. 5 मिनट अकेले बैठें, मोबाइल से दूर।
2. आँखे बंद करें, साँसों पर ध्यान दें।
3. हर सांस के साथ कहें –
o श्वास लेते समय: “मैं शांति हूँ”
o श्वास छोड़ते समय: “मैं प्रकाश हूँ”
4. यह 5 मिनट आपकी आत्मा से मुलाक़ात का आरंभ हो सकता है।
याद रखिए –
ध्यान कोई कार्य नहीं, एक अवस्था है।
यह अभ्यास आपको वहाँ ले जाता है –
जहाँ प्रश्न खत्म होते हैं, और उत्तर स्वयं से प्रकट होते हैं।
आप बस शुरू कीजिए… आत्मसंयम योग के मार्ग पर चलना।
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तब तक के लिए – जय माता दी!